मनमोहन सिंह की पूरी जीवनी | मनमोहन सिंह जीवनी | Complete biography of Manmohan Singh

मनमोहन सिंह की पूरी जीवनी | मनमोहन सिंह जीवनी | Complete biography of Manmohan Singh

मनमोहन सिंह, जो भारत के 14वें प्रधानमंत्री रहे, भारतीय राजनीति में अपनी साफ़-सुथरी छवि और विद्वत्ता के लिए जाने जाते हैं। अर्थशास्त्र में उनके योगदान और उनके कार्यकाल के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में किए गए सुधारों के लिए उन्हें विशेष रूप से सराहा जाता है। यह लेख मनमोहन सिंह की पूरी जीवनी को विस्तार से प्रस्तुत करेगा, जिसमें उनके प्रारंभिक जीवन, शिक्षा, करियर, प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल, और उनके बाद के जीवन के बारे में जानकारी दी जाएगी।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पंजाब प्रांत के गाह, जो अब पाकिस्तान में है, में एक सिख परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम गुरमुख सिंह और माता का नाम अमर कौर था। विभाजन के बाद, उनका परिवार भारत में बस गया। मनमोहन सिंह बचपन से ही पढ़ाई में अत्यधिक रूचि रखते थे और अत्यंत मेहनती और विनम्र छात्र रहे हैं।

उनकी प्रारंभिक शिक्षा पाकिस्तान में हुई। इसके बाद उनका परिवार विभाजन के दौरान भारत आ गया और उन्होंने आगे की शिक्षा पंजाब विश्वविद्यालय से प्राप्त की। उनकी विद्वत्ता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने 1954 में पंजाब विश्वविद्यालय से बी.ए. ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम.ए. और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

करियर की शुरुआत

शिक्षा पूरी करने के बाद, मनमोहन सिंह ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में काम किया। वे भारतीय रिज़र्व बैंक और योजना आयोग जैसे महत्वपूर्ण आर्थिक संस्थानों में भी जुड़े रहे। 1971 में वे भारत सरकार के आर्थिक सलाहकार बने, और बाद में योजना आयोग के सदस्य के रूप में उन्होंने कई आर्थिक नीतियों में अपना योगदान दिया। उनके कार्यों का उद्देश्य भारत की आर्थिक संरचना को सुदृढ़ करना था।

वित्त मंत्री के रूप में कार्यकाल

1991 में भारत एक बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा था, जब पी.वी. नरसिम्हा राव ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री नियुक्त किया। इस समय भारत पर विदेशी मुद्रा का संकट मंडरा रहा था, और देश के पास कुछ ही दिनों की मुद्रा भंडार बची थी।

मनमोहन सिंह ने उस समय कई आर्थिक सुधार किए, जिनमें विदेशी निवेश को बढ़ावा देना, लाइसेंस राज को समाप्त करना, और आयात-निर्यात में सुधार करना शामिल था। इन सुधारों ने भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी और भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ दिया। उनके इन सुधारों का परिणाम यह हुआ कि भारत की अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ी और भारत एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित हुआ।

प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल

2004 में कांग्रेस पार्टी ने मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री पद के लिए चुना। यह भारतीय राजनीति में एक बड़ा कदम था, क्योंकि मनमोहन सिंह ने चुनाव नहीं लड़ा था, फिर भी उन्हें प्रधानमंत्री चुना गया। उनके कार्यकाल में सूचना प्रौद्योगिकी, संचार, और कृषि जैसे क्षेत्रों में कई सुधार किए गए।

प्रमुख उपलब्धियां

मनमोहन सिंह के कार्यकाल में कई प्रमुख योजनाएं और नीतियां लाई गईं, जिनमें मुख्य रूप से ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA), भारत-अमेरिका परमाणु समझौता, और आधार कार्ड योजना शामिल हैं। ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ने ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान किए और गरीबी उन्मूलन में सहायक सिद्ध हुई।

मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था में तेज़ी आई, और भारत को वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर प्राप्त हुआ।

विवाद और चुनौतियाँ

हालांकि, उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार और घोटालों के कई मामले भी सामने आए, जिनमें 2G स्पेक्ट्रम घोटाला, कोयला घोटाला आदि शामिल थे। इन घोटालों की वजह से उनकी सरकार की छवि को धक्का लगा और उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।

बाद का जीवन और योगदान

प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद, मनमोहन सिंह ने सक्रिय राजनीति से धीरे-धीरे दूरी बना ली। हालांकि, वे संसद में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के रूप में बने रहे और सरकार की नीतियों पर अपनी राय देते रहे। उन्होंने अपनी पुस्तकें भी लिखीं और अपने अनुभवों को साझा किया।

उनकी सादगी और विद्वत्ता भारतीय राजनीति में एक मिसाल है। वे हमेशा एक नीति-निर्माता और देश के सच्चे सेवक के रूप में जाने जाते रहेंगे।

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