दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) | Diwali par Nibandh 2024 | दीपावली का इतिहास

दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) | Diwali par Nibandh 2024 | दीपावली का इतिहास

दीपावली का इतिहास

दीपावली, जिसे हम सामान्यतः दीवाली के नाम से भी जानते हैं, भारत का सबसे प्रमुख और महत्त्वपूर्ण पर्व है। इस पर्व का इतिहास, भारतीय संस्कृति, धार्मिक मान्यताओं, और सामाजिक परंपराओं में गहराई से जुड़ा हुआ है। यह पर्व केवल हिन्दू धर्म का नहीं है बल्कि जैन, सिख, और बौद्ध धर्म के अनुयायी भी इसे उत्साहपूर्वक मनाते हैं। दीपावली का अर्थ है 'दीपों की पंक्ति' और यह अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

इस लेख में, हम दीपावली के इतिहास, धार्मिक मान्यताओं, विविध परंपराओं, और इसके सांस्कृतिक महत्त्व की विस्तृत चर्चा करेंगे।

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दीपावली की पौराणिक कथा

दीपावली का धार्मिक और पौराणिक महत्त्व अनेक कहानियों और धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है। हिन्दू धर्म में मुख्य रूप से तीन प्रमुख कथाएँ दीपावली से जुड़ी हुई हैं:

1. भगवान राम की अयोध्या वापसी

सबसे प्रसिद्ध और प्रमुख कथा रामायण से जुड़ी है। जब भगवान राम ने 14 वर्षों का वनवास समाप्त किया और लंका के राक्षस राजा रावण का वध कर अयोध्या वापस लौटे, तब उनके स्वागत में अयोध्या के निवासियों ने दीप जलाए। राम के आगमन के इस अवसर पर पूरी नगरी को दीपों से सजाया गया था। यह दिन अमावस्या की रात थी, जिसे प्रकाशमय बनाने के लिए दीप जलाए गए। तभी से दीपावली को राम की वापसी की खुशी के रूप में मनाया जाता है। यह कथा विशेषकर उत्तर भारत में अत्यंत लोकप्रिय है।

2. भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर का वध

एक अन्य प्रसिद्ध कथा भगवान कृष्ण और नरकासुर से जुड़ी है। नरकासुर, एक अत्याचारी राक्षस राजा था जिसने 16,000 कन्याओं को बंदी बना रखा था। भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध कर उन कन्याओं को मुक्त कराया। इस विजय के बाद, विजयोल्लास के रूप में दीप जलाए गए। इस कथा को विशेषकर दक्षिण भारत में प्रमुख रूप से मनाया जाता है। इसे नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है।

3. मां लक्ष्मी का प्राकट्य

दीपावली का एक और महत्त्वपूर्ण पौराणिक पक्ष समुद्र मंथन से जुड़ा है। समुद्र मंथन के समय देवी लक्ष्मी, जो धन, समृद्धि और वैभव की देवी हैं, समुद्र से प्रकट हुई थीं। यह भी कहा जाता है कि दीपावली की रात लक्ष्मी जी पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों पर कृपा करती हैं। इसीलिए दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्त्व है, जब व्यापारी और घरों के लोग लक्ष्मी जी की पूजा कर अपने घरों में धन-धान्य की कामना करते हैं।

जैन धर्म में दीपावली का महत्त्व

जैन धर्म में दीपावली का बहुत गहरा धार्मिक महत्त्व है। जैन अनुयायियों के लिए दीपावली भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है। जैन मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान महावीर ने पावापुरी में अपना शरीर त्यागकर मोक्ष प्राप्त किया था। इस दिन जैन अनुयायी महावीर स्वामी की विशेष पूजा करते हैं और मोक्ष प्राप्ति की कामना करते हैं। यह दिन जैन धर्म में विशेष आध्यात्मिक महत्त्व रखता है, और दीप जलाकर आत्मा के ज्ञान और शांति की प्राप्ति की कामना की जाती है।

सिख धर्म में दीपावली का महत्त्व

सिख धर्म में भी दीपावली का महत्त्वपूर्ण स्थान है। सिख अनुयायी इसे 'बंदी छोड़ दिवस' के रूप में मनाते हैं। गुरु हरगोबिंद साहिब जी, जो सिखों के छठे गुरु थे, उन्हें मुग़ल सम्राट जहांगीर द्वारा ग्वालियर के किले में कैद कर लिया गया था। लेकिन जब गुरु जी को मुक्त किया गया, उन्होंने 52 अन्य राजाओं को भी मुक्त कराया। इस खुशी में सिख अनुयायी अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में दीप जलाते हैं और इस दिन को उत्सव के रूप में मनाते हैं।

दीपावली का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्त्व

दीपावली न केवल धार्मिक रूप से बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। यह पर्व विभिन्न धर्मों और समाजों के लोगों को एकसाथ लाने का कार्य करता है। दीपावली का प्रमुख संदेश है – बुराई पर अच्छाई की जीत। यह पर्व हमें सिखाता है कि चाहे जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, अंततः सत्य, धर्म और नैतिकता की विजय होती है।

1. सामाजिक सौहार्द और एकता

दीपावली का पर्व सामाजिक एकता का भी प्रतीक है। इस दिन लोग अपने घरों को दीपों से सजाते हैं, मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं और परिवार, मित्रों और समाज के अन्य लोगों के साथ खुशियाँ मनाते हैं। आपसी प्रेम और सौहार्द को बढ़ावा देने वाला यह पर्व पूरे समाज को एकजुट करता है।

2. व्यापारियों के लिए महत्त्वपूर्ण

दीपावली विशेष रूप से व्यापारियों और उद्योगपतियों के लिए भी महत्त्वपूर्ण है। इस दिन को नया वित्तीय वर्ष शुरू करने का शुभ अवसर माना जाता है। व्यापारी और उद्यमी लक्ष्मी पूजन के साथ अपने खातों की नई किताबें शुरू करते हैं, जो समृद्धि और सफलता की कामना को दर्शाता है।

3. घर की सफाई और सजावट

दीपावली से पहले घरों की सफाई और सजावट का विशेष महत्त्व है। माना जाता है कि मां लक्ष्मी स्वच्छ और सजे हुए घरों में वास करती हैं। इसीलिए दीपावली से पहले लोग अपने घरों की पूरी तरह से सफाई करते हैं और उन्हें दीपों, रंगोलियों और फूलों से सजाते हैं। इस प्रक्रिया का उद्देश्य केवल घर की शुद्धि ही नहीं है, बल्कि यह मानसिक शांति और सुख-समृद्धि का प्रतीक भी है।

दीपावली की तिथियाँ और पांच दिवसीय उत्सव

दीपावली का पर्व सामान्यतः पांच दिनों तक चलता है और हर दिन का अपना अलग महत्त्व है। ये पाँच दिन हैं:

1. धनतेरस

दीपावली की शुरुआत धनतेरस से होती है। यह दिन विशेष रूप से धन और स्वास्थ्य से जुड़ा होता है। इस दिन नए बर्तन, सोना-चांदी या अन्य धातुओं की खरीदारी की जाती है। माना जाता है कि इस दिन की गई खरीदारी घर में समृद्धि और धन धान्य लेकर आती है।

2. नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली)

नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली भी कहते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इस दिन लोग स्नान करके, नए वस्त्र पहनकर दीप जलाते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।

3. मुख्य दीपावली

यह दिन लक्ष्मी पूजन का प्रमुख दिन होता है। इस दिन लोग अपने घरों में मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं, उन्हें प्रसाद चढ़ाते हैं और दीयों से अपने घरों को रोशन करते हैं। इस दिन विशेष रूप से मिठाइयों और पकवानों का भी आदान-प्रदान होता है।

4. गोवर्धन पूजा

दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की घटना को याद किया जाता है, जब उन्होंने इन्द्र देव के कोप से गोकुल वासियों की रक्षा की थी।

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